लोगों की राय

स्वास्थ्य-चिकित्सा >> दादी माँ के घरेलू नुस्खे

दादी माँ के घरेलू नुस्खे

राजीव शर्मा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3695
आईएसबीएन :81-7182-216-9

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

221 पाठक हैं

प्रस्तुत है दादी माँ के घरेलू नुस्खे

Dadi Maa Ke Gharelu Nusakhe

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

दादी माँ के घरेलू नुस्खे जन-जन में व्याप्त है। प्रत्येक घर की बड़ी-बूढ़ी को आठ-दस नुस्खे याद होते हैं किंतु हम लोग उनका समय पर फायदा नहीं उठा पाते। जबकि ये नुस्खे बहुधा रामबाण की तरह कार्य करते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक तैयार की गई है।

लेखक परिचय


डॉ. राजीव शर्मा देश के प्रतिष्ठित होमियोपैथी, योग, प्राकृतिक व वैकल्पिक चिकित्सा परामर्शदाता हैं।

लगभग सौ पुस्तकें लिख चुके, ‘‘साहित्य श्री’’ की उपाधि से विभूषित डॉ. राजीव शर्मा विगत दस वर्षों से स्तम्भ लेखक के रूप में सक्रिय हैं। लगभग सभी राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में आपके 1000 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। चिकित्सकीय लेखन के क्षेत्र में डॉ. राजीव शर्मा ने जनपद बुलन्दशहर का नाम रोशन किया है। आपको साहित्य श्री व अन्य कई उपाधियों से विभूषित किया जा चुका है।
होमियोपैथी योग, एक्यूप्रैशर, चुम्बक व प्राकृतिक चिकित्सा परामर्शदाता डॉ. राजीव शर्मा भारतीय जीवन बीमा निगम के मेडिकल ऑफिसर है, रॉलसन रेमेडीज दिल्ली के सलाहकार हैं और विश्व के 20 से भी अधिक देशों में प्रसारित ‘‘एशियन होमियोपैथिक जर्नल’’ के सम्पादक मंडल के सदस्य है।
राष्ट्रीय स्तर पर ‘‘नशा मुक्ति व एड्स जागृति कार्यक्रम’’ से जुड़े डॉ. राजीव शर्मा की आकाशवाणी से भी अनेकों वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
शीघ्र ही डॉ. राजीव शर्मा का एक काव्य संग्रह व दो उपन्यास भी प्रकाशित होने वाले हैं।

सिर व स्नायु संस्थान के रोग


सिरदर्द


 सिरदर्द में गोदन्ती भस्म 450 मि. ग्राम, 1 ग्राम मिश्री एवं 10 ग्राम गाय का घी लेकर सबको मिलाएं, यह मात्रा दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
 शूलादिवज्र रस की 1-1 गोली सुबह-शाम मिश्री के साथ लेने से सिरदर्द में लाभ होता है।
 त्रिफला चूर्ण 500 मि. ग्राम को 1 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर रात को सोने से पहले लेने से आराम मिलता है।
 षड्बिन्दु तेल 5-5 बूंदे नाक में डालने से पुराने सिरदर्द में लाभ होता है।
 कूठ और अरण्ड की जड़ को पीस कर लेप करने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
 त्रिकटु, पुष्करमूल, रास्रा और असगंध के 25 ग्राम चूर्ण का 2 कप पानी में काढ़ा बनाकर नाक में 2-2 बूंद डालने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
 महालक्ष्मी विलास की 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से सिरदर्द में लाभ होता है।
 दालचीनी को पानी में खूब बारीक पीसकर लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिरदर्द में फायदा होता है।


आधासीसी (आधे सिर का दर्द)



मदार या आक के बड़े पत्तों के बीच में पाये जाने वाले दो छोटे-छोटे पत्तों के जोड़े को सूर्योदय से पहले तोड़े और गुड़ में लपेटकर सूर्यादय से पहले ही निगल लें। तीन दिन लगातार यह प्रयोग करने से लाभ होगा।

चेतावनी-यदि इस प्रयोग को सूर्य उगने से पहले न किया जाये, तो कोई फायदा न होगा।
 नित्य भोजन के समय दो चम्मच शुद्ध शहद लेने से आधा सीसी का दर्द समाप्त हो जाता है।
 दर्द के समय नाक के नथुनों में 1-1 बूंद शहद डालकर ऊपर को सूंतने से आराम मिलता है।
 दस ग्राम काली मिर्च चबाकर ऊपर से 20-25 ग्राम देसी घी पीने से आधा सीसी का दर्द दूर हो जाता है।
 चकबड़ के बीच कांजी में पीसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है।


नजला, जुकाम पुराना


भुने चने का छिलका उतरा हुआ आटा 20 ग्राम, मलाई या रबड़ी 20 ग्राम, थोड़े शहद में मिलाकर 4 बूंद अमृतधारा असली मिलाकर कुछ दिन रात को खाने से नये पुराने नजले को बहुत लाभ करता है।
गुलबनफशा 4 ग्राम, मुलहठी 4 ग्राम, उन्नाव 5 दाने, मुनक्का 4 दाने, (उस्तखद्) दूस 2 ग्राम। सबको एक गिलास पानी में पकाओ। जब पानी 200 ग्राम रह जाए तो थोडी खांड मिलाकर रात को पियें। परहेज खटाई का करें।


साइनस का सिरदर्द


इलाज-11 तुलसी की पत्तियां, 11 काली मिर्च, 11 मिश्री के टुकड़े और 2 ग्राम अदरक को 250 ग्राम पानी में उबालें। जब उबलकर आधा रह जाये, तो छानकर सुबह खाली पेट गर्मागर्म पी लें। और करीब दो घंटे तक नहायें नहीं। यह प्रयोग तीन दिन तक करें।

सिरदर्द का घरेलू इलाज


सोंठ चाय-आधा चम्मच सोठ का पाउडर 1 कप पानी में मिलाकर पी जाएं, इससे सिरदर्द में तुरंत फायदा होता है, खासतौर से सिरदर्द अगर हाजमे की गड़बड़ी के कारण हुआ हो।
कैमोमिल (बबूने का फल) और कैटनिप की चाय-ये घबराहट के कारण होनेवाले सिरदर्द में बहुत आराम पहुंचाती हैं। इनका प्रभाव हल्का और शांति पहुंचाने वाला होता है। ये दोनों ही नींद लाती हैं और एलर्जी के कारण होने वाले सिरदर्द में भी फायदा करती है। इन दोनों में से किसी भी एक से बनी दिन में तीन कप चाय पीने से दर्द और मतली में आराम पहुंचता है।
पिपरमिंट चाय-पिपरमिट में ऐसे तेल पाये जाते हैं, जो मांसपेशियों की जकड़न को दूर करके सिरदर्द से छुटकारा दिलाते हैं, अत: सिरदर्द शुरू होते ही एक कप पी लें।
फीवरफ्यू-इससे रक्त की शिराओं को आराम पहुंचता है, जिससे माइग्रेन (आधा सीसी) और बुखार व संधिवात के कारण हुए सिरदर्द में राहत मिलती है।
वलेरियन और पैन फ्लावर-इससे मांशपेशियों की जकड़न दूर होती है और ये कुछ हद तक सैडेटिव (शांतिकारक) भी होते हैं।
सफेद विलो (पादप)-इसकी छाल में एस्पीरिन जैसी दर्दनाशक शक्ति होती है।

आधा शीशी पर परिक्षित योग


सिखहैरा के पत्ता और डंडी को कूट रस निकाल दो बूंद जिस ओर पीड़ा हो उससे दूसरे कान में 2 बूंद दोनों नथुनों में नरई से सूतें छींक आकर पीड़ा समाप्त होगी।
गर्मी की वजह से सिर दर्द हो जाए तो लौकी के बीज निकालकर खूब महीन करके माथे पर लेप करें।
पीपलामूल का चूर्ण 1-1 माशे आधे घण्टे के फासले से जल के साथ तीन बार देने से सिर दर्द जाता रहता है।

मिरगी


रोगी को अचानक बेहोशी आ जाती है। उसके हाथ-पैर कांपते हैं। मुंह से झाग आते हैं। शरीर में कड़ापन आ जाता है और मस्तिष्क में संतुलन का अभाव हो जाता है।
    अकरकरा 100 ग्राम, पुराना सिरका 100 ग्राम शहद। पहले अकरकरा को सिरके में खूब घोंटे बाद में शहद मिला दें। 5 ग्राम दवा प्रतिदिन प्रात: काल चटावें। मिरगी का रोग दूर होगा।
    बच का चूर्ण एक ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ चटावें। ऊपर से दूध पिलायें। बहुत पुरानी और घोर मिरगी भी दूर हो जाती है।
    बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से होश आ जाता है।
    प्रतिदिन 3-5 काली लहसुन दूध में उबालकर पिलाने से मिरगी दूर हो जाती है।

पागलपन


यह एक मानसिक रोग है। चीखना-चिल्लाना, कपड़े फाड़ना, बकवास करना, खुद-ब-खुद बातें करना, हंसना अथवा रोना, मारने अथवा काटने को दौ़ड़ना अपने बाल आदि नोंचना ही इसके प्रमुख लक्षण है।
यह रोग कई प्रकार की विकृतियों के कारण हो सकता है-जैसे-अत्यधिक प्रसन्न होना, कर्जदार अथवा दिवालिया हो जाना, अत्यधिक चिन्तित रहना, भय, शोक, मोह, क्रोध, हर्ष मैथुन में असफलता, काम-वासना की अतृप्ति अथवा मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन करना। अत: पागलपन के मूल कारण को जानकर ही औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।
 खिरेंटी (सफेद फूलों वाली) का चूर्ण साढ़े तीन तोला 10 ग्राम पुनर्नबा की जड़ का चूर्ण इन दोनों को क्षीर-पारू की विधि से दूध में पकाकर तथा ठण्डा कर नित्य प्रात: काल पीने से घोर उन्माद भी नष्ट हो जाता है।
 पीपल, दारूहल्दी, मंजीठ, सरसों, सिरस के बीज, हींग, सोंठ, काली मिर्च, इन सबको 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर छान लें। इस चूर्ण को बकरी के मूत्र में पीसकर नस्य देने तथा आंखों में आजमाने से उन्माद, ग्रह तथा मिर्गी रोग नष्ट होते हैं।

 सरसों के तेल की नस्य देने तथा सरसों का तेल आंखों में आंजने से पागलपन का रोग दूर होता है। ऐसे रोगी के सारे शरीर पर सरसों का तेल लगाकर और उसे बांधकर धूप में चित्त सुला देने से भी इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।
 ब्राह्मी के पत्तों का स्वरस 40 ग्राम, 12 रत्ती कूट का चूर्ण तथा 48 रत्ती शहद इन सबको मिलाकर पीने या पिलाने से भी पागलपन के लक्षण जाते रहते हैं।
 20 ग्राम पेठे के बीज़ों की गिरी रात के समय किसी मिट्टी के बर्तन में 50 ग्राम पानी में डालकर भिगों दें। सवेरे उसे सिल पर पीसकर छान लें तथा 6 माशा शहद मिलाकर पिलायें। 15 दिन तक नियमित इसका सेवन कराने से पागलपन (यदि वह वास्तव में हो और रोगी ढोंग न कर रहा हो तो) दूर हो जाता है।
 तगर, बच तथा कूट सिरस के बीज, मुलहठी हींग लहसुन का रस इन्हें एक बार (प्रत्येक 10 ग्राम) में लेकर बारीक पीस कर छान लें। फिर इन्हें बकरी के मूत्र में पीसकर, नस्य देने तथा आंखों में डालने से पागलपन का रोग दूर हो जाता है।

चक्करों का आना


 मालकांगनी के बीज-पहले दिन 1 दूसरे दिन 2 और तीसरे दिन 3 इसी प्रकार 21 दिनों तक 21 बीजों तक पहुंच जायें। फिर इसी प्रकार घटाते हुए। आखिर तक पहुंच जायें। उपरोक्त बीज निगलकर ऊपर से दूध पीयें। इससे दिमाग की कमज़ोरी के कारण आने वाले चक्कर दूर हो जाते हैं।
 मालकांगनी का चूर्ण 3 ग्राम प्रातः सायं दूध से लेने से (एक बड़ी चाय की चम्मच) दिमाग की कमज़ोरी दूर होती है।
 50 ग्राम शंखपुष्पी और 50 ग्राम मिश्री को पीस कर चूर्ण बना लें। 6 ग्राम चूर्ण प्रातः काल गाय के दूध के साथ खाने से चक्करों का आना बन्द हो जाता है।
 बच का 4 ग्राम चूर्ण खाकर ऊपर से दूध पीने से दिमाग को शक्ति मिलती है।
 5 से 10 बूंद तक मालकांगनी का तेल मक्खन या मलाई में डालकर खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होकर चक्करों का आना बन्द हो जाता है।
 शंरवाहूली बूटी 7 ग्राम और 7 दाने काली मिर्च को ठण्डाई की तरह घोटकर मिश्री मिलाकर पीने से चक्करों का आना बन्द हो जाता है।
 सौंफ 6 ग्राम 7 बादाम की गिरी और 6 ग्राम मिश्री का चूर्ण बनाकर रात को दूध के साथ सेवन करने से दिमाग की कमजोरी दूर होकर चक्कर आने बन्द हो जाते हैं। पूरे सवा महीने इसका सेवन करें।

फालिज


इसमें शरीर के अंग निष्क्रिय और चेतना शून्य हो जाते हैं। शरीर का हिलना-डुलना मुश्किल हो जाता है।
 शरीर के जिस अंग पर फालिज गिरी हो, उस पर खजूर का गूदा मलने से फालिज दूर होती है।
 हरताल वर्की 20 ग्राम, जायफल 40 ग्राम, पीपली 40 ग्राम, सबको कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। आधा-आधा ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर लें। ऊपर से गर्म दूध पिएं। बादी की चीजों का परहेज रखें।
 वीर बहूटी के पांव तथा सिर निकालकर जो अंग बचें उसे पान में रखकर कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से फालिज रोग दूर होता है।
 काली मिर्च 60 ग्राम लेकर पीस लें। फिर इसे 250 ग्राम तेल मे मिलाकर कुछ देर पकायें। इस तेल का पतला-पतला लेप करने से फालिज दूर होता है। इसे उसी समय ताजा बनाकर गुनगुना लगाया जाता है।

लकवा


इस बीमारी में रोगी का आधा मुंह टेढ़ा हो जाता है। गर्दन टेढ़ी हो जाती है, मुंह से आवाज नहीं निकल पाती है। आँख, नाक, भौंह व गाल टेढ़े पड़ जाते हैं, फड़कते हैं और इनमें वेदना होती है। मुंह से लार गिरा करती है।
 राई, अकरकरा, शहद तीनों 6-6 ग्राम लें। राई और अकरकरा को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें, और शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार जीभ पर मलते रहें। लकवा रोग दूर होगा।
 25 ग्राम छिला हुआ लहसुन पीसकर 200 ग्राम दूध में उबालें, खीर की तरह गाढ़ा होने पर उतारकर ठंडा होने पर खावें।
 सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक होता है। यह परीक्षित प्रयोग है।
 6 ग्राम कपास की जड़ का चूर्ण, 6 ग्राम शहद में मिलाकर सुहब शाम लेने से लाभ होता है।
 लहसुन की 5-6 काली पीसकर उसे 15 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम लेने से लकवा में आराम मिलता है।

दिमागी ताकत


बबूल का गोंद आधा किलो शुद्ध घी में तल कर फूले निकाल लें और ठण्डे करके बारीक पीस लें। इसके बराबर मात्रा में पिसी मिश्री इसमें मिला लें। बीज निकाली हुई मुनक्का 250 ग्राम और बादाम की छिली हुई गिरी 100 ग्राम-दोनों को खल बट्टे (इमाम दस्ते) में खूब कूट-पीसकर इसमें मिला लें। बस योग तैयार है।
सुबह नाश्ते के रूप में इसे दो चम्मच (बड़े) याने लगभग 20-25 ग्राम मात्रा में खूब चबा-चबा कर खाएं। साथ में एक गिलास मीठा दूध घूंट-घूंट करके पीते रहे। इसके बाद जब खूब अच्छी भूख लगे तभी भोजन करें। यह योग शरीर के लिए तो पौष्टिक है ही, साथ ही दिमागी ताकत और तरावट के लिए भी बहुत गुणकारी है। छात्र-छात्राओं को यह नुस्खा अवश्य सेवन करना चाहिए।



प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai